क्या उत्तरप्रदेश की बजह से मध्यप्रदेश को मिलेगा नया मुखिया

NBT24
खबर भोपाल से ........................

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भोपाल - कर्नाटक में येदुरप्पा की विदाई के बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर यह चर्चा चल पड़ी है कि क्या मध्यप्रदेश में भी नेतृत्व परिवर्तन होगा?इस चर्चा की बजह कोई आंतरिक या येदुरप्पा जैसे आरोप नही हैं!इसकी बजह है - उत्तरप्रदेश! जी हां उत्तरप्रदेश! माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ को हटाने में असफल रहा भाजपा नेतृत्व अब जातीय समीकरण साधने के लिए पड़ोसी मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बदल सकता है! मध्यप्रदेश में किसी ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
 विश्वस्त सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी उत्तरप्रदेश को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रही है।अपने मंत्रिमंडल विस्तार में भी मोदी ने उत्तरप्रदेश को बहुत अहमियत दी है।इसका बाकायदा प्रचार भी किया जा रहा है। लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने जिस तरह से ब्राह्मणों को जोड़ने की मुहिम शुरू की है उससे उनकी नींद उड़ी हुई है।
 दरअसल अब तक जो हालात बने हैं उनके चलते उत्तरप्रदेश में ब्राह्मण भाजपा से खासे नाराज हैं। यह बात खुलेआम कही जा रही है कि योगी सरकार में ब्राह्मणों का उत्पीड़न हो रहा है।उन्हें पुलिस एनकाउंटर में मारा जा रहा है। बसपा इसी मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है।उसे ब्राह्मणों का समर्थन 2007 में मिला था। तब मायावती ने अपने दम पर सरकार बनाई थी। वह सरकार पूरे पांच साल तक चली थी।अब वे वही दांव फिर आजमाना चाहती हैं।
 बसपा की तरह सपा भी ब्राह्मणों को अपनी तरफ खींचना चाहती है।सपा प्रदेश के 58 जिलों में परशुराम राम के मंदिर बनवा रही है।
अपने स्तर पर कोशिश तो भाजपा भी कर रही है।पिछले दिनों गुरुपूर्णिमा के दिन उत्तरप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी बामनों के पांव पखारे थे।
 दरअसल उत्तरप्रदेश में ब्राह्मण महत्वपूर्ण इसलिए हो गए हैं क्योंकि उनकी आबादी 11 प्रतिशत से ज्यादा है। बहुत सी विधानसभा सीटों पर वे सीधा असर डालते हैं।
कोरोना के बाद उत्तरप्रदेश में जो हालात हैं उनसे केंद्रीय नेतृत्व भली भांति परिचित है। खुद नरेन्द्र मोदी उत्तरप्रदेश से सांसद हैं। अब चूंकि उत्तरप्रदेश में बदलाव की कोशिश नही कर सकते इसलिए मध्यप्रदेश के जरिये उत्तरप्रदेश के ब्राह्मणों को पटाने की कोशिश की जा सकती है।
 जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है भाजपा के 18 विधायक ब्राह्मण हैं।इनमें सिर्फ दो को शिवराज मंत्रिमंडल में जगह मिली है। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर भी ब्राह्मण विधायक को बैठाया गया है।
 सत्ता में उचित भागीदारी न मिलने से ब्राह्मण विधायक खुश नहीं है। कई ब्राह्मण नेता कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। अगले चुनाव तक वह उम्र के उस दायरे में पहुंच जाएंगे, जहां से रास्ता सीधा मार्गदर्शक मंडल की ओर जाता है।
 वैसे भी पिछले कई महीनों से मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें चल रही हैं। पिछले दिनों कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तो मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिये दो भाजपा सांसदों के नाम घोषित भी कर दिए थे।
 उधर भाजपा के ज्यादातर विधायक अब मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर उदासीन हैं। सिंधिया फैक्टर और जातीय गणित को देखते हुए उन्हें यह उम्मीद नही है कि इस सरकार में अब उनके लिये कोई गुंजाइश है। लेकिन मुख्यमंत्री बदले जाने के सवाल पर वे अपनी बात जरूर कहते हैं। एक वरिष्ठ भाजपा विधायक के मुताविक अब मुख्यमंत्री के चुनाव में विधायकों की कोई भूमिका नही होती है। जो नाम दिल्ली से आता है उस पर सब हाथ उठा देते हैं। मध्यप्रदेश में यह सिलसिला 2005 में शुरू हुआ था। अन्य राज्यों में भी चल ही रहा है। शिवराज सिंह को चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी दिल्ली ने ही दी थी।
विधायकों की उसमें कोई भूमिका नही थी। वरना हारे हुए को दूसरा मौका कौन देता है?
 एक अन्य विधायक कहते हैं-अब हम कांग्रेसमय हो गए हैं। अब हमारी भी हाईकमान है। जो हुकुम मिलता है,बकरियों के रेहड़ की तरह उधर ही चल देते हैं। इसलिये अगर कोई परिवर्तन होना भी है तो उसमें हमारी कोई भूमिका नही होगी। हम वही करेंगे जो कहा जायेगा।
वहीं सालों से संघ और भाजपा को करीब से देख रहे एक वरिष्ठ स्वंयसेवक कहते है आज की भाजपा में कुछ भी हो सकता है। उत्तरप्रदेश के ब्राह्मणों को रिझाने के लिए मध्यप्रदेश में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने का प्रयोग भी किया जा सकता है। वैसे भी भाजपा ने कैलाश जोशी के बाद किसी ब्राह्मण नेता को मौका नही दिया है। अब जाति ही सब कुछ है। जातिहीन समाज की हमारी अवधारणा को हमने ही खत्म किया है। ऐसे में अगर एक कौम को खुश करने के लिए उसके किसी व्यक्ति को कुर्सी दी जाती है तो उसमें कोई आश्चर्य की बात नही होगी। और फिर आज का नेतृत्व तो वैसे भी नए प्रयोग करने में माहिर है।
फिलहाल कर्णाटक के बाद मध्यप्रदेश में सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। लेकिन अगर उत्तरप्रदेश को दिखाने के लिए बदलाव होता तो यह एक बड़ी बात होगी। वैसे एक ब्राह्मण विधायक बहुत दिन से गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। हो सकता है कि उनकी परिक्रमा फलीभूत हो जाये।

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